एक बार एक राजा आपरे राज्य री सैर वास्ते निकळ्या। राजा घूमता-घुमता गाँव रे बारले पाड़े पुगग्या। उठे एक किसोन रेवतो हो। बो किसोन गरीब हो। जिके रे रेवण वास्ते स़करो घर नी हो। तोई बो आपरे टाबरो अर लुगाई रे साथे राजी-खुसी अर प्रेम ऊं रेवतो हो। राजा मन में विचार करियो के इण खने की नी है तोई ओ इतो खुस रेवे है। म्हारे खने सब सुख है तोई में इण जितो राजी नी रे सकू हूँ। आ बात राजा आपरे मंतरी ने केई। तो मंतरी केयो के राजा साब अजे ओ निनाणू रे फेर ऊं बारे है। राजा ने निनाणू री बात समज नी आई। राजा केयो ओ निनाणू रो काई फेर् है। मंतरी केयो के राजा साब आप म्हने निनाणू मौरो देवो अर एक महिने पछे आप उण किसोन ने देख्जो। राजा निनाणू मौरो देदी। मंतरी बे मौरो ले जान किसोन री झुपड़ी रे बारे रख दी। जद किसोन बे मौरो देखी अन गिणी तो निनाणू ही। जणे बो पुरी सौ मौरो करणे वास्ते दिन रात मेनत करण लागो। टेम माथे रोटी नी खावतो। मौरो पुरी सौ करण रे वास्ते दर दर भटकण लागो अर दूखी रेवण लागो। इण दूख री वजेह ऊं घर में लड़ाई झगड़ा होवण लागा। इयो करतो-करतो महिनो बीत गियो। जणे मंतरी राजा ने लेन पाछो ऊण किसोन रे घरे लेन गियो तो राजा देखे तो सगळा दूखी हाँ। एक दूजे ऊं दूखी हाँ। टाबरियो री हालत खराब ही। जणे राजा मंतरी ने पुछियो के आ किकर हूगी। जणे मंतरी केयो के राजा साब ओ किसोन निनाणू मौरो ने पूरी सौ करण रे चक्कर में दुखी हो गियो है।
सिक्सा- मिनक ने जितो होवे उण में ई राजी रेवणो जोईजे है।
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