एकर एक लुगाई दो दिन वास्ते बारे घुमने गियोड़ी ही पाछी आवती ई आपरे घर रे माई कमरे में गी। पिलंग माथे दो जणा स़ुता दिखिया। के बा स़ोट लेन ढुकी जको दोयो ने ठोकिया हाँ। काई हुन अन बारे पोणी पीवने आई अन के लुगाई रो घणी बारे बैठो अखबार पढतो हो। लुगाई ने देखन धणी केयो के थारा माँ बाप आया हाँ जको में मोये कमरे में स़ोणिया हू जको जा’न मिळले। भळे सक कर।
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