कदी-कदी गाडरोऊं सिंग हार जावे 2
समे को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे.....टेर
गुरु वसिस्ट महामुनी लिख-लिख बात बतावे
सिरी राम जंगळ में जावे किस्मत पलटी खाई
राजा दसरत प्राण त्याग दे2, हाथ लगा नी पावे, समे को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे.....
राजा हरिसचन्द रानी तारामती रोहितास कवर कहावे
ऐसो खेल रचियो म्हारा दाता तीनो बिकवा जाई
एक हरिजन, एक बरामण एक कुबदा घर जावे, समे को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे.....
राजा री बेटी पदमा कहिये मोर लार परणाई
मोर जाई जंगळ में मरग्यो किस्मत पलटी खाई
मेहर करी महादेव मोर को मरद बणावे, समे को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे.....
राजा भरतरी रानी पींगळा मेहला में सुख पावे
सिकार खेलवा राजा जंगळ में जावे
गोरखनाथ गरु ऐसा मिळिया राजा जोगी बिण जावे, समे को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे.....
गुरु कहे ममता री वाणी अमृत रस बरसावे
म्हारो मनड़ो केयो नी मोने फिर-फिर गोता खावे
हरिदास गरु मिळिया पूरा रामदास जस गावे, समे को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे।