1. गुरु बड़ा परमारथीऔर सीतळ ब्यारा अंग

तपत बुझावे औरो की और गुरु दे दे अपना रंग।


  1. लाई लगी असमोन में ओर झुरझुर पड़े रे अंगार

ए संत नी होता जगत में तो जळ जातो संसार।


  1. कबीर सपने रेण के भयो कळेजे छेद

जद सोऊ जद दोय जागु जद एक।


  1. प्रीतम प्रीत लगाई के तुम दुर देस मती जाई

बसो हमारी नगरी में पिया, हम कमाए तुम खाए।


  1. बाळपणे में रामदेवजी मन में एक बिचारी

मन में भायो घोड़लो मैया चढ ने करु सवारी।


  1. वीर होया जद आलम जाण्या, पालणिये पग धारया

हे रमता धणी राम रणुचे आया।


  1. पाबू सोडा परणता तो सिर पर बांध्यो मौड़

थने अबळा बेळा इयाद करा तो धिन पाबू राठोड़।


  1. साजन आयो रे सखी, में कई कई मनवार करु

थाळ भरु गज मोतिये तो उपर धरु नेण।


  1. गड दिली रे गड आगरो, गड हो बिकानेर

भलो चुणायो भाटियो सिरहो जेसळमेर।


  1. ओ राग पखेणु आसरो तो स़ाख पखेणु खत

अरे कुड़े कव्वले आदमी, तो ज्यारी केड़ी पत।


  1. बाबलिया ऊण घर दीजे, जीण घर स़ांडड़लिया होय

अळगा रा मजे नेड़ा करे, लोम्बी बिरखड़लिया होय।


  1. भलो दियाळो आज रो, धन मुरत धन भाग

ब्याह होवे बधावणा, मीठा मजे गायजे राग।


  1. नहीं माऊ ना भाणजो, ना माऊड़ी जायो बीर

अरे सिध्द म्हारो कुण सुमरे, म्हने हालबो दिजो हमीर।


  1. अंगुठी ना आगड़ी मन लोभीड़ो लगाई गियो

रुनी मजे स़ारी रात म्हने जप ना पड़े एकबार।


  1. साल बखोणो सिंधड़ी तो मजे मुंग मंडवर देस

अरे झीणो कपड़ो माळवे तो मारू मुरधर देस।


  1. प्रीत थया पर्दा नहीं, परदा थया नी प्रीत

प्रीत पर्दा दोन्यू कैद रिया, तो दुस्मणी री रीत।


  1. प्रीत करी सुख कारणे, जियो रो लोंठो भरम भयो

दहू लगाऊ इण प्रीत रे, प्रीत ना करियो कोई।


  1. तु जे बोले मोरिया, चड-चड लंबी खजूर

ओ थासू ईन्दर बरसे अर म्हासू पीव।


  1. काने मुरखी कसुमल पाग, बाढाणे रो बेस

अरे पदमणी ना पीहर आळो हेलो आवे हमेस।


  1. बाजरिया रा खेत सवाया, बोरड़िया रा बाग

काचर बोर मतिरा मीठा, म्हारे जिमे स़गळो स़ाथ।


  1. मोर टहूको देय गियो, मने छोड़ गियो बनबास

करम फुटा कोयल रा, म्हार जग सो घरवास।


  1. आखड़ली लाली भई बाट निवार-निवार

जीभड़ल्या छाला पड़िया तो पिया पिया पुकार

काळी रात डरावणी लोग गया सब सोय

जाने चिंता पीव री पिया जीऊ लेखा से होय।


  1. दुनिया बड़ी ब्राहमणी, पत्थर पुजण जाई

अरे प्रीत करियो कोई नी पुजे, जिसो पईसा खाई।


  1. साजन फूल गुलाब रो, तो पिया में फुलन की बास

सजन हमारा काळजा, तो में सजना के साथ।


  1. सजना इयो मत जाणया के थे बीछड़या मोह सेण

जेसे जळ बिन माछली तड़प रही दिन रेण।


  1. मोरे बिनो मगरो स़ुनो, मेह बिनो स़ुनी मलार

बिन भायो गायड़ स़ुनी, जियो पिया बिनो स़ूनो स़िणगार।


  1. हाथे दिनो मुंदड़ो तो, किण ने केऊ बात

गूंगे मन स़पनो भयो तप स़मझ स़मझ पछताय।


  1. मेंदी ब़ाई ढोला मेड़ते, तो तौतो गियो गुजरात

अरे रचगी गोरी रे हाथ, तो पिया मन मोय लियो।


  1. दारू मीठो दाख रो, तो चुड़ो मीठी चाख

सेजो मीठी कोमणी, तो पिया रण मीठी तलवार।


  1. साजनिये सु पियाण घणो, पण जोवो तो लादे कठे

दिन में मिळता सो सो बार अब मुख देखण रा जोंजा पड़े।


  1. साजन बे दिन इयाद करो, पिया थे सकर ने में घी

नींबू जिता रे खाटा पड़ा, म्होरा तरसण लागा नेण।


  1. चुड़ा में एक चुड़ी भली, चुड़ी भली काँच की

स़ोना जेवर मती लावजो, म्हारे स़ोना पीव होय।


  1. रात पिया से खटपटी तो झटपट बोल्या बोल

आधे गुंघट पाछी पड़ी तो म्हारा बरसण लागा नेण।


  1. आदू दुनिया बावळी भई तो पत्थर पुजण जाई

घर की चकिया कोई नी पिसे तो मन आन मिळे अधार।


  1. दारू पिवो रण करो, पण राता राखो नेण

दोखी-स़ोखी जळ मरे, पण स़ुख पावे संसार।


  1. स़ुता स़ुता किया करो, स़ुता ने आवे नींद

काळ स़िराणे आय खड़ो, जियो तोरण आयो बींद।


  1. नीवण बड़ी संसार में और नहीं निवे सो नीच

नीवे नदी रो रुखड़ो तो रेवे नदी के बीच

नीवे जो आंबा आंबली नीवे दाडम दाख

अरण बिचारा किया नीवे जियो री ओछी केईजे स़ाख।


  1. अजगर करे नी चाकरी, पंछी करे नी काम

दास मलुका यू कहे, सबके दाता राम।


  1. स़तियो स़त मती छोडजो, स़त छोड़ीयो पत जाई

स़त री बांध्योड़ी लक्समी बा पाछी मिळे आय।


  1. सतसंगत आधी घड़ी, आधी में पुणीआध

तुळसी संगत संत री, कटे कोटी अपराध।


  1. कहे संत सगरोम हाथ में हिरा आया,

स़मजियो नहीं गिंवार घाल गोफण में ब़ाया

ब़ावत ब़ावत ब़ाया जद लारे बचियो एक,

जद आयो हिरो रो पारखू जद रोयो माथो टेक

ऐड़ा में घणा गमाया, कहे संत सगराम हाथ में हिरा आया।


  1. भगत बीज पलटे नहीं और जुग जावे रे अंनंत,

ऊच-नीच घर अवतरे बो रहे संत रो संत।


  1. राम नाम री झुपड़ी पापी रे दस गाँव

आग लगो ऊण गाँव रे जठे नी रोम रो नोम।


  1. कहे संत सगरोम रोम ने भुलो किकर

भुलियो भूंडी होसी माईनो जासी बिखर

बिखर जासी माझणो देसी गध्दे री जूण

मौरो में पड़सी टाकिया उपर धरसी लूण

चढावे सामो सिखर कहे संत सगरोम रोम ने भुलो किकर।


  1. सतसंगत घर-घर नहीं, नहीं घर-घर गजराज

सिंघण का टोळा नहीं,नहीं चंदण रो बाग।


  1. सांवरे ने ढुंढण में गई कर जोगण रो वेस

ढुंढत-ढुंढत जुग भया आया धवळा केस।


  1. सतगुरू ऐसा ना किजिए जेसे झाड़ी बोर

उपर लाली प्रेम री भीतर बड़ा रे कठोर

सतगुरू ऐसा रे किजिए दुखे दुखावे नही

पान फुल तोड़े नही बे रहे बगीचा माई।


  1. झुठी माया देह राम रंग भुमी होय

रोयड़ा फूल बंदा देख बंदी ने फुलियो

रोहिड़ा रो रुख नदी किनारे जावेला

पेला खिरसी पानड़ा फेर मूळ नहीं आवेला।


  1. मन के मते नी चालणो अरे पलक झलक मन और

मन लोभी मन लालची मन चंचळ मन चोर

मन केया सोई-सोई किया सिर माथे का मौड़

बींद कुआ में गिर पड़े तो जा’न जाई की ठौड़।


  1. सब्दो मारिया मर गिया रे सब्दो छोड़िया राज

ज्याने सब्द बिचारिया रे जिया रा सरिया काज

सुरत सब्द कि इयाद करो जबलक घट में प्राण

धोरो बिचे बंबी पड़ी नर सुखे पोणी जाण।