हरदम काळ भवे थारा सिर पे हरदम काळ
पाणी में आड तरे ओ धीरज कियो ना धरे।
आ संसार माया संग लागी माया बोद करे सा।
आई माया करे पराई, इण मायाऊं कई काम सरे ओ
धीरज कियो ना धरे मनवा भाई हरदम काळ......
इण सायर में रोगी घणा रे रोगी रोग करे सा
रोगी, भोगी, काळ, करोधी तीनो ई डूब मरेला
मना भाई धीरज कियो ना धरे...… हरदम काळ
सत की नाव सागर माई डोले धरमी साख भरे सा
धरमी-धरमी पार उतरिया पापी डूब मरेला
जीवड़ा भाई धीरज कियो ना धरे।
भोळाराम सतगरु म्हाने मिळिया माथे हाथ धरिया
सम्भूनाथ सेन बताई अरे सौ भजिया अरज करिया
मना भाई धीरज कियो ना धरे
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