हंसा सुन्दर काया रो मत करजे अभिमान
अरे आखिर एक दिन जाणो रे मालिक रे दरबार।
अरे गरभवास में दुख पायो जद हरि सु करी पुकार
अरे पल भर नी बिसराऊं कोल करी कीरतार।
अरे कुटुम्ब कबीलो देख ने गरभ कियो मनमाई
अरे हंस अकेलो जासी रे नी कोई संग माई
हंसा सुन्दर काया रो मत करजे अभिमान
आखिर एक दिन जाणो इस्वर रे दरबार।
आकर इण संसार में भाई कदेई नी भजियो राम
भजन किरतन नहीं किना रे नहीं किनो सुकरत काम
अरे हंसा सुन्दर काया रो मत कर जे गुमान
आखर एकदिन जाणा तुझको मालिक के दरबार।
राम नाम री बाध गांठड़ी कर रयो भव सु पार
दास कबीर सा यू केवे आसी थारे काम
अरे हंसा सुन्दर काया रो मत कर जे गुमान
आखर एकदिन जाणा तुझको मालिक के दरबार।
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