अरे गुरु म्हारा पवन वस झीणा, ऐ जी सायर वाळी लेहर करे
हंसला री गरु गम हसलो ई जांणे, ऐ हंस हिरा रा मोल करे जी हाँ....…
ए गुरु म्हारा पारस पत्थर ने ओ पूजे, पारस संग ले पत्थर तीरे
पत्थर तीरे ओ बाने परेम जळ पावे, पारस पेले पार करे जी हाँ...…
ऐ गुरु म्हारा पारस बळद ने औ हाके, सत सबदा वाळो हाक करे
ग्यान कि डोरी परेम किया प्राणी,हलकारे जियो साम ढळे...…
ऐ गुरु म्हारा पारस हेत वाळा हिरा, हंसा रे मिलासु हेत करे
हंसा रे जोड़े बैठे कागला, कागा ने दाता हंस करे जी हाँ.....…
बादळी जीऊं बरसे बीजळी जीऊं चमके, ऐ जी झर-झर झरणा वाळो नीर झरे
नीर झरे ओ बठे नीत झड़ लागा, पीना बे मगन फीरे जी हाँ....…
ऐ गरु म्हारा सायर समन्द जळ सागर, महासागर में बारीं जाहज तीरे
नुगरा रे नर तो गुळछा खावे, समजिया पेले पार तेरे ओ हाँ.....…
नीरगुण नाथ भोळानाथ जी ने गाया, दुरबळ उपरे दया करे
गरीबो नाथ भवानी गावे, आप गुरुसा ने अरज करे ओ हाँ....
अरे गुरु म्हारा पवन वस झीणा, ऐ जी सायर वाळी लेहर करे
हंसला री गरु गम हसलो ई जांणे, ऐ हंस हिरा रा मोल करे जी हाँ....…