किरतन करु नाही, जप-तप साधु नहीं धरु में ध्योना
ऐसा होय खेलत में खेलू, नहीं गोरख नाही स्यामा
ऐसा देस दीवाना।
भेळा है पर मिळता नाही, गुरुमुख ग्योनी जोणा
भाई रे ऐसा देस दीवाना।
पग बिनो पंत ने नेण बिनो निरखियो, बिनो सरवण सुणणो
बिना जांण से लेत सुगंध, बिना रस जांण रस पीना
साधु भाई ऐसा देस दीवाना।
सेंस सरोवर सिमरथ हंसा, गरब ना कियो पिवोणा
मनसरोवर होसी मुगता,निरमल नीर निराळा
साधु भाई ऐसा देस दीवाना।
जियो जोणिया जगदीस जुगत से, फिल बिनो पुरुस पूरोणा
के बना नाथ बरहम सकल में, नाट-बाड जियु केणा
साधु भाई ऐसा देस दीवाना।
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