कंठ बिनो राग छतिसो छेड़ी, पगो बिनो खेल सुधारा
ओंधा अगम अगोचर निरखियां, चेहरो सुरंगो सुधारा
साधु भाई निरगुण खेल हमारा।
कर दरसण साधु सब सुणजो, अन, अग, जळ किरतारा
साधु भाई निरगुण खेल हमारा।
चील, पंचील, रायपंछी तिनो खोज राय बिचारा
धरता रे केत गुरु का ध्योना, परगट कुछ भी ना बिचारा
साधु भाई निरगुण खेल हमारा।
पड़े अबकी सबका संगी, पेर धतुर में बिचारा
चेतन छया एकरस आदू, वो नीरलिप निराधारा
कर दरसण साधु सब सुणजो, अन, अग, जळ किरतारा
साधु भाई निरगुण खेल हमारा।
रुप सरुप अगम नित देवल, नोम रुप से न्यारा
उमर राम ने दुनिया ने भवति, परगट करु रे पुकारा
साधु भाई निरगुण खेल हमारा।
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