सोवणी मूरत पियाळो हरपणा देवी सतजुग पार
झुझाळो रिखिया रो मारग, सत रो पावंडो देरीजे रे बाबा।
अनघड़  तिरथ बाबा, भाग माटी ने, जुड़ जावे चाकरी सू जांण
झुझाळो रिखिया रो मारग, अलख रो पावंडो देरीजे रे बाबा।
गोकळ रा रे कुळ थे तरपायो जो रे बाबा
थट जमना रे नाळ हो बाबा
झुझाळो रिखिया रो मारग, सत रो पावंडो देरीजे रे बाबा।
तवळ री ताळ बाबा वीणा बाजिया, कासी रा झणकारा हो बाबा
झीणे तार जोसत गावे हरख-हरख झुझाळे ओ बाबा
झुझाळो रिखिया रो कारज, सत रो पावंडो देरीजे रे बाबा।
परसण होया जाणे मिळिया परमेसर, दरसण दिया बाबा जांण
गरु म्हारा हरिजन किसनोजी बोले, हेत सायब रे लारे जी आ..…
झुझाळो रिखिया रो कारज, सत रो पावंडो देरीजे रे बाबा।