थारी उमर रा दिन गीणियोड़ा जावे लोभी जिवड़ा
मात-पिता रे थारो कुटुम्ब कबीलो
भाईड़ो री जोड़ी बिछड़ जावे लोभी जिवड़ा
रामजी ने भज ले रे।
चार दिनो री बन्दा चमक चानणी, फेर रे अंधारी राता आवे
लोभी जीवड़ला, राम जी ने भज ले रे।
थारा करमा से थु तो हंस बणन जावे
बेटा थारा कागलो बणावे लोभी जिवड़ला
रामजी ने भज ले रे।
राम जी भजियोड़ा, पुन जी करियोड़ा
फेर तो आगाड़ी आडा आवे रे लोभी जीवड़ा
रामजी ने भज ले रे।
ज्याने थु थारा-थारा केवे
बे ई थारे आग लगावे रे लोभी जिवड़ा
हरी ने भज ले रे।
केवे गोपेसर अवसर जावे, फेर कोई पाछे पछतावे
लोभी जिवड़ा रामजी ने भज ले।
थारी उमर रा दिन गीणियोड़ा जावे लोभी जिवड़ा
रामजी ने भज ले।