काया नगर रे बिच में रे, लेरिया रे लाम्बा पेड़ खजूर
चडे तो मेवा चाख ले रे, पड़ता रा चकना चूर
भजन में सुख घणा रे, लागी राम से डोर लेरिया रे।
माखी बैठी सेत पे रे, लेरिया पंख रही लपटाय
उडणे रा सासा भया रे, लालच बूरी बलाय
भजन में प्याला और पिणा रे लेरिया लागी रामसे डोर।
जन्तर पड़गा जोजरा रे लेरिया, टुट्ग्या गया सब तांण
भजन में सुख घणा रे, लागी राम से डोर लेरिया रे।
रामनाम की लूट है रे लेरिया लूट सके तो लूट
अंत समे पछतावसी रे थारो जावेला प्राण छूट
भजन में प्याला और पिणा रे लेरिया लागी रामसे डोर।
अरण तपेगो राख में तप-तप पड़े जजीर
रामानन्द री फोज में रे सनमुख लड़े कबीर
भजन में सुख घणा रे लेरिया, लागी राम से डोर।