खबर करो खिलका में कियाली
आप अलोपत काया, ऐसा सतगरु मेरा खेल रचाया।
कर चोकस तन की चौखी, अरद उरद सुलझाया
उलटिया पवन कमल माई पलटिया, पंखनाळ रस खाया
ऐसा सतगरु मेरा खेल रचाया।
डावी ईगळा जीवणी पींगळा सुखमण सेज बिछाया
लग रया तार तिरवेणी नाखे, अजब झरोखे आया रे
ऐसा सतगरु मेरा खेल रचाया।
बहूरंग राग हुवा रंग मेहल में , गगन मंडळ गरणाया
सूरता नूरता दोई अरदंगी, मिळकर मंगळ गाया
ऐसा सतगरु मेरा खेल रचाया।
मिळ रया जीव सिव के माय, एक रुप निज काया
के बन्नानाथ सुणा भाई संता, लागे नी जम रा दावा
ऐसा सतगरु मेरा खेल रचाया।