आप गरुजी इन्दर होय बैठा, निरमल नीर होय उठा
एक बूंद का सकल विचारा, अरस-परस होय फुटा
धरा सोहन असमोन जद लेता रे हम तुम दोनो कुण था रे
मन बिना करम नहीं होता रे हाँ.....…
मात-पिता तो करम माई मिळिया, किनी करम वाळी पूजा
जद रे पिताजी होता ऐकला, पुतर जल्मिया दुजा रे
धरा सोहन असमोन जद लेता रे हम तुम दोनो कुण था रे
मन बिना करम नहीं होता रे हाँ.....…
सात कळी सायर, आठ कळी परवत, नव कळी नाग जद लेता
अढाई करोड़ तो नासपति लेता रे तो कलम कांई से करता रे
धरा सोहन असमोन जद लेता रे हम तुम दोनो कुण था रे
मन बिना करम नहीं होता रे हाँ.....…
बरमा नेता, विसणु नेता, नेता महेसा रे देवा
केहत कबीर जद मंडप नेता, मोडण वाळा कुण होता रे
धरा सोहन असमोन जद लेता रे हम तुम दोनो कुण था रे
मन बिना करम नहीं होता रे हाँ.....…