राम भजन गुण गायलो रे भाईड़ा, जब-लक सुखी सरीर
भाग भला ज्याने सतगरु मिळिया, पड़िया सतसंग में जीव
होय हंसा चुग लिजियो रे बीरा नाम अमोलक हीर
राम भजन गुण गायलो रे भाईड़ा, जब-लक सुखी सरीर।
जोबन बचाबच लिजिये रे देर मती करी म्हारा बीर
काल बुढापो थने आवसी रे पिंजरे में व्यापे पीड़
हरि रा गुण गायलो रे जब-लक सुखी रे सरीर।
आ पल-पल छिन-छिन उमर कटती रे ज्यो अंजळी रो नीर
फेर कोनी आवे हंसा पावणो रे, ईण मानसरवरिये री तीर
राम भजन गुण गायलो रे भाईड़ा, जब-लक सुखी सरीर।
सब देवो रो देव रमियो, सब पीरा रो पीर
केहत कबीर भज लिजिये रे हरिये सुख री सीर
हरि रा गुण गायलो रे भाईड़ा जब-लक सुखी सरीर।