किणरा धरता ध्याना रे जोगी, नाम धरता तो रे सब मिट ज्यावे
कुळ नाम नहीं मान्या रे, संतो किणरा धरता ध्याना
धर, असमान, पवन नहीं पाणी, चान्द सुरज नहीं तारा
इण्ड ना पिण्ड सुद-बुद भी नाही रे संतो किणरा धरता ध्याना
कुळ नाम नहीं मान्या रे, संतो किणरा धरता ध्याना
सब दिन सात ना ग्यान नहीं गोस्ता, भजन नहीं रे झणकारा
सतगरु सेन साहिब ने निरखियो, देख री जोत सम्माना
जोगी किणरा धरता ध्याना.....…
आ नीरा नम निरवाण सही कर सचे मारग ध्याना
आवा गमण तेरी सब मिट जा वो पुरसत सब सम्माना
नाम धरिया सब मिट जाता कुण नाम ने मान्या
जोगी किणरा धरता ध्याना.....…
आवे नहीं जावे मरे नहीं जलमे अब आखर रे परवाना
केवे रविदास डिगे नहीं डोले, अखे नाम में म्याना
जोगी किणरा धरता ध्याना.....…
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