ऐ म्हारा भंवरा रे भाळ जोवे ने पग धरना रे (टेर)
उचे सरवर रो हंसा संगड़ो नी करणा
नीचे पड़ियोड़ा फळ लेणा रे म्हारा भंवरा रे
जोवे जमी पे पग धरणा रे.......…
गेरा सम्न्दर रो हंसला संगड़ो नी करणा
पाळ बैठे पग धोणा रे म्हारा भंवरा रे
जोवे रे जमी पर पग धरणा रे
पराया खेतो में हंसला फसल नहीं बावणा र
हासल हाथ नहीं आवे रे म्हारा भंवरा रे
जोवे जमी पर पग धरणा रे
नव सौ तो नदिया रे भंवरा निनाणू नाळा रे
पार उतरणा घणा दोरा रे म्हारा भंवरा रे
भाळ जोवे जमी पर पग धरणा
दास कबीरसा री विणती रे
जोणले हरि का रे कोई प्यारा रे
हे म्हारा भंवरा रे भाळ जोवे ने जमी पर पग धरणा।
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