आ तो सुरगा ने सरमावे, ई पर देव रमण ने आवे
ई रो जस नर नारी गावे, धरती धोरा री।
सूरज कण-कण ने चमकावे, चन्दो इमरत रस बरसावे,
तारां निरछावळ कर जावे, धरती धोरा री।
काळा बादळियां घरावे, बिरखा गुगरियां घमकावे
बिजळी डरती ओळा खावे, धरती धोरा री।
लुळ-लुळ बाजरिंयों लेरावे, मक्की झालो देर बुलावे
कुदरत दोन्यू हाथ लुटावे, धरती धोरा री।
पंछी मधरां-मधरां बोले, मिसरी मीठे सुर ज्यु घोळे
झीणो ब़ायरिंयो पंपोळे, धरती धोरा री।
ई रे सत री आण निभावां, ई रे पत ने नही लजावां
ई ने माथो भेंट चडावां, मायड़ कोडा री, ओ हो धरती धोरा री।
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