में तो अरज करु कर जोड़ सतगरु जी म्हाने दरसण दिया आज। टेर
सुद-बुद्ध रो सार लकायो दुरमती दुर हटाया
धिरज देह धिन में, मैंआज सतगरु दरसण पाया।
सार सबद म्हाने सतगरु दिना, घने हेत सु हिड़दे पाया
बार बार मैं करुं विणती सतगरु अवतारी पाया।
सतगरु जी री सोभा रो नहीं है कोई पार
सतगरु सार हिड़दे लकाया अवतारी आया आप।
भगत दीपाराम सरण सतगरू जी रा आया
सतगरू रामप्रकास जी धन भगती रा दिना।
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