एकर एक भोळो मिनक सतसंग में गियो परो सतसंग में स़ुणियो के ओम नमो सिवा बोले जणो भगोन मिळे है।ओम नमो सिवा करतो-करतो खेत में गियो परो अन हळ ब़ावण ढुकगो। हळ एक ठुटिये में फस गियो हळ काडियो अन के खड़ड़ड़ अवाज आई के नमो सिवा तो भुल गियो अन खड़ खड़ करण ढुकगो के हळ खाडे में पड़ गियो के बोलियो हपंदा हो के मिनक ने इयाद हुगो खड़ खड़ खाड़ हपंदा हो।हमे बो हळ बावे अन करे है खड़ खड़ खाड़ हपंदा। पारवती जी सिव जी ने केयो के थोरा नोम तो घणी स़ुणिया पण ओ केड़ो नोम है खड़ खड़ खाड़ हपंदा। म्हे जा’न इने पुछु के ओ मिनक नोम किन्नो लेवे है।पारवती अन सिव जी दोई मिनक रे खने जावण लागा जणो सिवजी केयो के में अटे खाडे में बैठो हू अन थे जा’न पुछियाओ। उण टेम मिनख ने री आयोड़ी ही। पारवती जी जा’न पुछियो के किन्नो नोम लेवो हो थे। मिनक बोलियो के थारे मोटी रो। के पारवती स़ोचियो बात तो स़ाची है पाछी पुछियो के बे है कठे मिनक ने री स़ली री आ गी अन केयो के कठी बैठो है ला खाडे रे माई।
सार-स़ाचे मन ऊ कोई काम करो बो सही इज होए है।