एकर एक राजा आपरे दरबार में घोसणा करी के राजा ने एक कविता स़ुणावणी है। जके मिनक री कविता राजा ने पसंद आगी जणो राजा उने इनोम देवेला।आ बात स़ुण अन राजा रे दरबार में मोटा-मोटा कवि आया अन राजा ने आपरी कविताओं स़ुणाई राजा ने एक ई कविता पसंद नी आई। उण गांव रे माई एक मुरख मिनक रेवतो हो बो स़ोचियो के राजा इनोम देई जणो अपोई एक कविता बणा अन राजा ने स़ुणावो देखोणी। बो मिनक आपरे घरे बैठो-बैठो आ बात स़ोचतो हो जेडे एक कागळो मटकी माथे बैठो पोणी पीवतो हो अन आपरी टुच उण मटकी माथे घसतो हो। के बो मनख विचार करियो अन एक कविता बणा दी के घस-घस घसावे घस-घस ढोळे पोणी अरे काळिया थारे मन री बात में जोणी। आ कविता जा’न राजा ने स़ुणाई अन के राजा ने पसंद आ गी। दरबार में राजा रा दरबारी राजा ने मारण वास्ते एक योजना बणाई के राजा ने मारदो अन राजा रो राज अपो ले लो। राजा री दाढ़ी बणावण रे वास्ते एक खवाज जी आवता हाँ जके रो नोम काळियो हो। दरबारी काळिये ने केयो के थु राजा री दाढ़ी बणावे जणो राजा रो गळो बाड देजे जको राजा मर जाई है अन म्हे थने लाख रुपिया देवो, काळियो मोन गियो अन राजा री दाढ़ी बणावण वास्ते गियो परो। राजा रो गळो ब़ाडने वास्ते बो आपरो उस्तरो बैठो घसतो हो जणो राजा स़ोचियो के काळियो आपरो उस्तरो दुजो तियार करे जेड़े अपो कविता पढ लो। राजा कविता पढण लागा के घस घस घसावे घस घस ढोळे पोणी अरे काळिया थारे मन री बात म्हे जोणी। राजा रे कविता पढतो ई काळियो राजा रे आगे हाथा जोड़ी करण ढुकगो के बाबजी म्हे तो थोने को मारतो नी पण म्हने तो आपरा दरबारी केयो जणो म्हे तो थोने मारण वास्ते उस्तरो घसतो हो। जणो राजा मन में विचार करियो के एक मुरख री कविता कीती काम आई नी जणो तो आज ए स़ैंग मार देवता हाँ।
सार-कणोई कोई मुरख री बात ई मोटो काम काड देवे है।