एकर एक गांव रे माई बुद्ध जी नोव रो मिनक रेवतो हो। जको भोळो इज हो। एकर बो स़ोचियो के मेळे हालो जको फिर अन आवो केई दिन हुगिया कठेई गिया ई कोनी हो। बो घरू निकळ गियो। ब़ेवतो-ब़ेवतो दोपारो री टेम हुगी अर तावड़ो ई घणो हो। बुधजी एक दरखत हेटे स़ू गिया। अटीनु एक नाई आयो जको बुधजी ने जोणतो हो। बो देखियो के बुधजी री दाढ़ी अर बाळ बदियोड़ा घणा है। की कम करदो। नाई बुद्ध जी ने हेला करिया पण बुद्ध जी ऊठिया कोनी नाई बुधजी रा बाळ, दाढ़ी अर मूछों स़ैंग ब़ाड दिनी। बाल दाढी करन नाईजी तो ऊठू गिया परा। चार एक बजी अन के बूद्ध जी ऊठिया। उठ अन मुंडे माथे हाथ फेरियो के एक दम साफ सट लागो। बुद्धजी माथे में हाथ फेरियो अन के माथे मेई एकी बाळ कोनी। बूद्ध जी स़ोचियो के अपो तो बुद्ध जी स़ोई कोनी। बुद्ध जी तो मेळे में गम गिया। हमे कांई करो। इयो करन स़ोच में पड़ गिया। हमे है जियो ई है घरे हालो जको घराळी केई के बुद्ध जी थेई हो जणो तो घर में जाओ परा नी जणो कठेई दुजी जगे जावो हो। बुद्धजी घर आगे जा’न घराळी ने हेलौ करियो के बुद्धजी घर में है कांई? घराळी के अवाज तो स़ैंदी लागे है पण आज बारेऊं हेलो किकर करे है। घराळी केयो के बुद्ध जी थेईज हो पण ए इयो सफा सफ हूउन किकर आया हो। आज बारे ऊब अन हेळा किकर करो हो। जणे बुधजी पुरी बात बताई अर घर में गिया।