एक बार एक गरुकुल रे माई छोरो री सिक्सा पुरी हूई जणे गरुजी चेलो ने केयो के थोरी सिक्सा पुरी हुगी है। अंत में थो सगळो ने एक परिक्सा देणी है। जिको इण परिक्सा में पास होवेला उने राजा साब आपरो राजगुरु बिणाई है। परिक्सा आ है के थाने रोजिना एक-एक ने नदी खने जाणो है। जिको नदी में देखो बो काम थोने करणो है। नदी रे किनारे थोड़ी भौ रे माई एक बाग हो। गरुजी बाग रे माळी ने केयो के थू रोजिना नदी रे माई एक सेव नोख बोकर जे। बो इयो ई करियो। रोजिना एक-एक चेलो नदी खने जावतो हो। कोई चेला सेव देखी कोनी तो कोई चेला सेव ने खा जावता। उण में एक चेलो हुसियार हो। उनो नम्बर आयो। बो सेव ने देखी अर बा सेव लेन गुरुजी खने गियो। गुरुजीऊं एक दिन री छुट्टी मांगी के म्हे इण सेव रे मालिक ने जोवू अर आ सेव उने पाछी देऊला। गुरुजी छूट्टी देदी। बो उण माळी खने गियो अर सेव दिनी। माळी सेव नी लिनी अर केयो के ओ बाग राजा रो है। इण सेव माथे राजा रो अधिकार है। बो सेव लेन राजा खने गियो। राजा केयो के गुरुकुलऊं सिर्फ एक सेव देवण वास्ते आप इति भो आया हो। आ सेव थे खा भी सकता हाँ। चेलो केयो के राजा साब म्हे सिर्फ एक सेव वास्ते नी आयो हूँ। म्हे म्हारे जमीर अर ईमानदारी वास्ते आयो हूँ। राजा उण री बात ऊं खुस होग्या अर उण ने आपरो राजगुरु बणा दियो।
 

सिक्सा-जमीर अर इमोनदारी ऊं मोटी कोई सिक्सा नी है।