आवो म्हारा सतगरु जी म्हारे घरे आवो नी।
परेम रा पतरणा बिछाऊ, चीत री चादर रळाऊं सा
नाक सू निवण करतो आऊ म्हाने सार सबद रो लकाओ सा।
सत सबदो रा मुंगा हिरा, म्हारे हिरदे रळावो सा
सायर समुदंर री सीर, गंगा ग्योन री लावो सा।
भगत दीपाराम सतगरु रामप्रकास जी रो चेलो
चेले ने चेतावो सा आवो म्हारा सतगरु म्हारे घरे आवो सा।