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Poem

हळिया अमाऊस

तीज तिंयारी हळियो भारी आज अमाऊस आई रे।
 सूबे ब़ेगा उठण री बारी खेत जावण री तियारी रे।
खोंन्दे हळियो कमर झोळियो सुबह बड़ी पियारी रे।
बुड़िये री बोली लागे पियारी किसोन री बात न्यारी रे।
झीणो झीणो बाजे ब़ायरो स़ुगन चौखा होया रे।
 मीठा मीठा बोले बुड़िया कोयल मोर पपिया रे।
खेत पौचिया किरणो निकळी हळ जोतण ने आई रे।
चार हळ री जमी जोती माथे तावड़ तपियो रे।

म्हे जाणू हूं

धरती पर बैठो-बैठो म्हें भाखर लिखणीं जाणूं हूं ।
कोतीणां बण ज्यावे ऐड़ा आखर लिखणीं जाणूं हूं ।
मिनकां में मिनक पिछाणूं हूं मिनकां री आदत जाणूं हूं ।
लिफाफा री सकल देख कैड़ो है कागद जाणूं हूं ।
फैसन में फसियोडी नवीं जनरेसन नें जाणूं हूं ।
भीतर री टैंसन बारे री डेकोरेसन नें जाणूं हूं ।
नकली हंसी पिछाणूं हूं आख्यां क्यूं सूजी जाणूं हूं ।

मन री निकलगी

लिख लिख कर म्हें लिखतो रियो 
लिखतां लिखतां सांस निकलगी ।
म्हैं सीधो सरगां में पूग्यो
कविता बाईपास निकलगी ।
कोई तो तुकबंदी निकली
कोई कविता खास निकलगी
म्हें कागद रो नास समझियो
बा म्हारो विस्वास निकलगी ।
म्हनें लोग समझियो झूठो
कविता म्हारी साच निकलगी ।
असली चेहरा देखणं खातर
कविता म्हारी काच निकलगी ।
म्हें पतझड में झडतो रियो
कविता तो मधुमास निकलगी ।

भरमजाल

गिया जकां रा टेम निकलग्या रिया जकां रा भेम निकळग्या।
दुनियां तो मैदान निकलगी दुनियांदारी गेम निकळग्या।
इयो हाथों रा मैल निकलग्या उण हाथों रा खेल निकळग्या।
रिश्ता नाता फेल निकलग्या सब पईसां रा खेल निकळग्या ।
कोई माल लूट अर लेग्या कोई खाली हाथ निकळग्या ।
लारे रेग्या साथ निकलग्या लोग बताकर जात निकळग्या ।
केई तो भूखा ही रेग्या केई काठा धाप निकळग्या ।

नेता हिन्दुस्तोन रा

आवो छोरो थोने बताऊं नेताओं री दादागेरी
नेतोऊं घणी दुखी है, जन्ता आ हिन्दुस्तोन री।
मोटा मोटा नेता भेळा है, इण गड़बड़ घोटाळे में
अटेचीयो भर भरन हाले है, अपोरे अटे दलाली में।
देस धरम री नी है चिंतिया, चिंतिया है आपरे टाबरो री
नेतो ऊ घणी दुखी है, जन्ता आ हिन्दुस्तोन री।
चोरो डाकुओ री हमे देखो, केई सांसद अन केई विधायक है
दारू लुगाई रा परेमी ए स़ाचेला डाकू है।

जयपुर-जोधपुर वाया नागौर

जैपर देख जोधपुर देख्यो अर देख्यो नागोणों।
न्यारी न्यारी बोली देखी रंग लाग्यो म्हांनें झीणों।
जैपर में इंड बिंड नागौर अन्ने बन्ने।
जोधपुर में केवे भाईसा जावोला कठीनें।
जैपर में केवे तड़के नागौर केवे काले।
स़वांरे हालांला बोली जोधपुर में चाले।
जैपरिया केवे पगडी नागौरी बांधे फेंटो।
जोधपुर में केवे स़ाफो पड़ ज्यावेलो हेटो।
जैपर में जीजाजी नागौर में बेनोई।

कुवा में भांग

पींदे में खाडो है अर पोणी में नाव खड़ी है ।
स़ेंठा रेजो मिनकों कुवा में भांग पड़ी है।
स़पना तो चोखा है पण जाग्या ही पतो पड़ेला।
गरीबों री भूख तो भाग्या ही पतो पडे़ला।
पोतड़ियो में पूत बिगड़ग्या बे किकर सुधरेला।
भूंगळ्योऊं पूंछ कुत्ता री स़ीधी कियां हुवेला।
कांई होवेला जद जोणोला बातों तो मोटी-मोटी है।
स़ेंठा रेजो मिनकों कुवा में भांग पड़ी हैं ।

आखातीज

आकड़े रो हळियो निम्बड़े री नाई।
रमतो खेलतो बाजरी ब़ाई।
बाजरी रे बूटो में ढेलड़ी ब्यायी।
ढेलड़ी रा बिचिया राता। म्हारे मोमोसा माता है। 
ब़ेगा उठजो हळ खड़जो।
गरमा गरम खीच खाजो अर टोकरिया बजाजो।

Poem

मारवाड़ी पंचाग

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