देहधारी जद दरसण पाया
कुदरत री कला मोनको अवतार आया
जागा भाग जद सतगरु दरसण पाया
सतगरु कुदरत री कला हंस देह में आया
देहधारी जद सतगरु दरसण पाया
आसा पुरवी अंधियारा भागा।
इण देह मायी, मन थारो जागीरी जमायी रे
मन म्हारा दरसण सतगरु जी रा पाया रे।
ओ देह काचो कुण जोणे मियाद पल री
मन रे म्हारा सोचो भलाई री, धीरज सतगरुजी धराई
सतगरुजी सुद्ध सार लकायो भगत दीपाराम ने
सतगरु रामप्रकास जी अमर अवतारी पाया रे।
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