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जयपुर-जोधपुर वाया नागौर

जैपर देख जोधपुर देख्यो अर देख्यो नागोणों।
न्यारी न्यारी बोली देखी रंग लाग्यो म्हांनें झीणों।
जैपर में इंड बिंड नागौर अन्ने बन्ने।
जोधपुर में केवे भाईसा जावोला कठीनें।
जैपर में केवे तड़के नागौर केवे काले।
स़वांरे हालांला बोली जोधपुर में चाले।
जैपरिया केवे पगडी नागौरी बांधे फेंटो।
जोधपुर में केवे स़ाफो पड़ ज्यावेलो हेटो।
जैपर में जीजाजी नागौर में बेनोई।
बेनोसा के बतलावे है आ जोधपुर री बाई।
जैपरिया हलवो खावे नागौरी खावे स़ीरो।
जोधपुर जावे तो स़ीरो बण ज्यावे है हीरो।
जैपर में बाप खाणों नागौर राख उड्यो।
जोधपुर में रीसां बलती केवे स़ीडी काड्यो।
जैपर में पुवा पकौड़ा नागौर कलाकंद पेड़ा।
जोधपुर में मिरचीबड़ा खावे खड़ा खड़ा ।
जैपर रा मिनख पतला नागौरी नर जोशीला।
जोधपुर रा मोटा दीखे हाले ढीला ढीला।
जैपरिया गम खा ज्यावे नागौरी सोट बजावे।
जोधपुर रा बात बात में कोट कचेड्यां जावे।
गोविंदजी जैपर वाला नागौर बंशीवाला।
जोधपुर की लाज राखज्ये राम रुणीचे वाला।
जैपर में ठंडो पाणीं नागौर चाय छाणीं।
जोधपुर जावोला तो पडेला रोटी खाणीं।
आ मरुधरा री भाषा म्हांनें लागे घणीं सुहाणीं।
श्रीनिवास मिसरी सुं मीठी मारवाड री वाणी।

Literature Type

  • Poem

मारवाड़ी पंचाग

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