लिख लिख कर म्हें लिखतो रियो लिखतां लिखतां सांस निकलगी । म्हैं सीधो सरगां में पूग्यो कविता बाईपास निकलगी । कोई तो तुकबंदी निकली कोई कविता खास निकलगी म्हें कागद रो नास समझियो बा म्हारो विस्वास निकलगी । म्हनें लोग समझियो झूठो कविता म्हारी साच निकलगी । असली चेहरा देखणं खातर कविता म्हारी काच निकलगी । म्हें पतझड में झडतो रियो कविता तो मधुमास निकलगी ।
पींदे में खाडो है अर पोणी में नाव खड़ी है । स़ेंठा रेजो मिनकों कुवा में भांग पड़ी है। स़पना तो चोखा है पण जाग्या ही पतो पड़ेला। गरीबों री भूख तो भाग्या ही पतो पडे़ला। पोतड़ियो में पूत बिगड़ग्या बे किकर सुधरेला। भूंगळ्योऊं पूंछ कुत्ता री स़ीधी कियां हुवेला। कांई होवेला जद जोणोला बातों तो मोटी-मोटी है। स़ेंठा रेजो मिनकों कुवा में भांग पड़ी हैं ।