सतगरु अवतारी पाया

हमे म्हे सतगरू अवतारी पाया
अन्तो जोय आत्मा जोई घट में सांम लकाया। टेर
म्हारा सतगरू जी है हिरो री खोंण म्हे हिरा हेत हिरदे सू पाया।
सत सबद अनमोल हिरा म्हे हिरदे पाया
भाग हाँ भव पुरबला जद म्हे सतगरू अवतारी पाया।
सामरत सतगरू सरणे राकियो, धीरज दे सबद सार लकाया

सतगरु आया म्हारे मन भाया

सतगरु आया म्हारे मन भाया सतगरु जी सार लकाया है।
सुद बुद्धी रो सार हिरदे लकाया है
आज म्हारा सतगरु जी आया है।
धिन म्हारा भाग गरुजी घर आया
सत सबद प्रकास हिरदे लकाया
आज म्हारा सतगरु जी घर आया।
आज म्हारा सतगरु जी घर आया,
सत सबद घन अन्ते में चेताया

सतगरु म्हारे घरे आवो सा

आवो म्हारा सतगरु जी म्हारे घरे आवो नी।
परेम रा पतरणा बिछाऊ, चीत री चादर रळाऊं सा
नाक सू निवण करतो आऊ म्हाने सार सबद रो लकाओ सा।
सत सबदो रा मुंगा हिरा, म्हारे हिरदे रळावो सा
सायर समुदंर री सीर, गंगा ग्योन री लावो सा।
भगत दीपाराम सतगरु रामप्रकास जी रो चेलो

जागा भाग दरसण सतगरु जी रा पाया

देहधारी जद दरसण पाया
कुदरत री कला मोनको अवतार आया
जागा भाग जद सतगरु दरसण पाया
सतगरु कुदरत री कला हंस देह में आया
देहधारी जद सतगरु दरसण पाया
आसा पुरवी अंधियारा भागा।
इण देह मायी, मन थारो जागीरी जमायी रे
मन म्हारा दरसण सतगरु जी रा पाया रे।

थें सतगरु आया हो

थे सतगरु भला आया हो
थोरी गेरी करुं मनवार आप सतगरु आया हो।
आप सतगरु भला ई आया हो
परेम धन हिडदे दियो सुद्ध-बुद्धी लाया हो
आप सतगरु आया हो।
सत गरु आप उबारियो हो सरणे ले
चेलो बिणाय सरणे लियो
सतगरु आप भला आया हो।
सतगरु जग चेतावण जग में आया

थारी गैरी करूं मनवार

आप सतगरु आया हो
थारी गैरी करुं मनवार, सतगरु आज आया हो।
आप सतगरु आया हो
परेम धन हिड़दे दिनो आप, सुद-बुद्धी रो सार लकायो हो।
सतगरु जी आप आया मैं हिड़दे अणंद पायो
आप सतगरु जी आया हो।
चेलो जाण गरुदेव आप मने अपणायो हो

सतगरु जी म्हाने दरसण दिया

में तो अरज करु कर जोड़ सतगरु जी म्हाने दरसण दिया आज। टेर
सुद-बुद्ध रो सार लकायो दुरमती दुर हटाया
धिरज देह धिन में, मैंआज सतगरु दरसण पाया।
सार सबद म्हाने सतगरु दिना, घने हेत सु हिड़दे पाया
बार बार मैं करुं विणती सतगरु अवतारी पाया।

सतगरु जी म्हारे घर आवो

आवो म्हारा सतगरु म्हारे घरे आवो नी
परेम री पोसाक बिछाऊ निवण नाक सु करूं जी
आवो म्हारा सतगरू म्हारे घरे आवो नी।
सत सबदो रा मुंगा हिरा हिड़दे म्हारे रळावो नी
आवो म्हारा सतगरु जी म्हारे घरे आवो नी।
सायर समंद री सीर गंगा ग्योन री लावो नी

मैं तो करूं अरज कर जोड़

मैं तो अरज करुं कर जोड़ सतगरू किरपा करी हद जोर। टेर
स़तगरु सुद-बुद्धी रो सार लकायो दुरमत दुर करी
गरू अपणाय सरणे राकियो सतगरु दया बिचारी
स़तगरु जी रे रुप आया म्हारा गरु अवतारी।
म्हें सतगरु चरणो रिया बण चेला
म्हारा स़तगरु री सेवा सदा है मेवा 

सतगरु आगे विणती करूं

सतगरु आगे विणती करुं, चरणो में राखो हाजरी भरु।टेर
थे स़तगरु दाता रा देव हो दयालु देवो तो सरी
अणभो अमोल धन हिड़दे हेत रळावो तो सरी।
भाग भव पुरब ले रा जद, मैं स़तगरु सामरत पाया
मिळ गिया जद अवतारी आणंद ऊर छाया।

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