चेत रे नर चेत

अरे नर चेत रे चेत रे थारो चिड़िया चुग गई खेत नर नुगरा रे
चेत रे नर थोड़ो मन माई चेत रे अब तो दिल माई चेत जा।
थारे गुरु नाम री आटी, अबे कुण चडाई थाने घाटी रे
थोड़ो मन माई चेत जा।
अरे नर चेत रे चेत रे थारो चिड़िया चुग गई खेत नर नुगरा रे

मन भाई धीरज कियो नी धरे

हरदम काळ भवे थारा सिर पे हरदम काळ
पाणी में आड तरे ओ धीरज कियो ना धरे।
आ संसार माया संग लागी माया बोद करे सा।
आई माया करे पराई, इण मायाऊं कई काम सरे ओ
धीरज कियो ना धरे मनवा भाई हरदम काळ......
इण सायर में रोगी घणा रे रोगी रोग करे सा

ऐड़ा संतों रा लेऊं वारणा ( हेली )

ऐड़ा रे संतो रा लेऊ वारणा हेली वे म्हाने घणा जीतवाई
वो परोऊपकारी संत है म्हारी हेली करे जीवा रो उदार
ऐ पर-कारण रे दुख सेहवे, म्हारे सबदा रा बाण
हो ऐड़ा सायब रा लेऊ वारणा बे म्हाने घणा जीतवाई
नीत रा रे मुख बोले नहीं म्हारी हेली 

सतगरुजी आवणो पडेला

आवणा पड़ेला दाता2 आज री सत-संग में आवणो पडेला
अरे पेला रे जुगो में राजा पेलाद आया 2
अरे पाच ई करोड़ साधु तारणा पडेला, आज री सभा में।
अरे दूजा रे जुगा में राजा हरिसचन्द्र आया
अरे पांच करोड़ तपसी तारणा पड़ेला
आवणा पड़ेला दाता2

सतगरुसा हेलो मारियो

अरे सतगरु सुतोड़ा हंसला ने हेलो परो मारियो
अरे हंसला चालो ई चालो सतसंग री रे माई
अरे सतगरुजी कोई हेलो थोने मारियो रे।
म्हारा हंसला रे, अरे चुग जाई चुग ले मोतीड़ो रो चूण2
समदरिये बेगो आसी रे
अरे हंसला हालो ई हालो सत-संग रे माई कोई हरि भजनो रे माई

मन रे जुग सपनो है भाई

मन रे जुग सपनो है भाई......
जावता ने टेम नी लागे सपनो बिखर जाई- टेर
पल-पल करता मिंट होवे मिंट-मिंट में घड़ी
आठपोर दिन रात में टेम निकळे खरी
ओ जुग सपनो भयो मन मानतो सरी रे भाई
मन मानुस तन पायो आठोपोर दिन-रात में 
बेकार टेम गमायो मोनके जनम रे माई

छोड माया रा फन्दा

तेरी मात केवे गोपीचन्दा अरे छोड माय रा फन्दा
तेरी माता बरजे बन्दा छोड माया रा फन्दा
तेरा पिता बंगाली रो राजा जटे बाजता छत्तिसु बाजा
 लंका पति रावण जिया रो संको मोनता सोंई
तेरी मात केवे गोपीचन्दा तज दो माया रा फन्दा
केरु थे इठोतर रे भाई वे पांडवा से करता लड़ाई

समे रो भरोसो कोनी

कदी-कदी गाडरोऊं सिंग हार जावे 2
समे को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे.....टेर
गुरु वसिस्ट महामुनी लिख-लिख बात बतावे
सिरी राम जंगळ में जावे किस्मत पलटी खाई
राजा दसरत प्राण त्याग दे2, हाथ लगा नी पावे, समे को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे.....

हरि मिळिया पार हो जाई

गोमद गति सदा घट माई
हरि मिळिया, पार हो जाई (टेर)
टेम समे री गति कोई नी जोणे
जारा सतगरु स़ाचा बो ही पैचाणे।
रोम नाम रो रंग जद राचण लागो
स़ोच-स़ोच लके मन पाचो।
हरि राखे छतर छिया
हरि री सता सतगरुजी रे माया।
सतगरु, हरि में अन्तर नहीं

अणद भयो आसा पूरी

आसा पूरी अणद भयो, अब आणद आयो रे
भव पुरबले रा भाग, म्हाने सतगरु समजाया रे।
ग्यान गुणा री बाळद लाया 2, सतगरु आया रे
स़ुगरा नर समज गिया भाई गाफल गोता खाया रे। 2…
अग्यानी ने सार समजावे सतगरु, सगुण नर समज पाया
सत सबदा रा मूंगा मोती, मे तो हिरदे पाया रे हे..…।

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