अद्भुत खेल हमारो

कंठ बिनो राग छतिसो छेड़ी, पगो बिनो खेल सुधारा
ओंधा अगम अगोचर निरखियां, चेहरो सुरंगो सुधारा
साधु भाई निरगुण खेल हमारा।
कर दरसण साधु सब सुणजो, अन, अग, जळ किरतारा
साधु भाई निरगुण खेल हमारा।
चील, पंचील, रायपंछी तिनो खोज राय बिचारा

नटवा मन नाच लेहरी

नाचले ले मन लेहरी, नटवा नाच ले मन लेहरी (टेर)
सतगरु तुझ पर किरपा किनी, दिल में समझ घणेरी
नटवा नाच ले मन लेहरी।
सत रा बाण सूरो साधे दया धरम री डोरी
गुरु गम डाको ग्योन फोल की बाजण दे आठोपोर री
नटवा नाचो रे मन लेरी।
खमिया गुगरा बोंध पगो रे कसमस-कसमस केरी

ऐसा देस दीवाना

किरतन करु नाही, जप-तप साधु नहीं धरु में ध्योना
ऐसा होय खेलत में खेलू, नहीं गोरख नाही स्यामा
ऐसा देस दीवाना।
भेळा है पर मिळता नाही, गुरुमुख ग्योनी जोणा
भाई रे ऐसा देस दीवाना।
पग बिनो पंत ने नेण बिनो निरखियो, बिनो सरवण सुणणो

चालो म्हारी रेल भवानी

चालो म्हारी रेल भवानी, संतो रे हाला देस
जावा हारा-हेर रे, चालो म्हारी रेल भवानी संतो रे हाला देस।
सतगरु छोडी डारी, होई जगर री प्यारी
अब चलो बैठ नर-नारी रे, अरे सिंवरु देस गणेस
चाला संता रे देस।
सतगरु मिळिया अतिथि, गजब बजावे सिटी दुनिया हो गई सिधी

मत ले जीवड़ा नींद हरामी

मत ले जीवड़ा नींद हरामी, नींद आळसी
थोड़ा जीवणे रे खातर कांई सोवे।
खुद रे घर में जीवड़ा घोर अंधेरो
पर घर दिवला कांई जोवे।
इण काया में बीरा खान हिरा की
पर कांकरी ने काई रोवे रे जीवड़ा
थोड़ा जीवणे रे खातर कांई सोवे
काई सोवे रे जीवड़ा,जमारो मिट जावे।

पांच तत्व तीन गुण नाही संतो

पांच तत्व तीन गुण नाही 2, काळ जाळ से न्यारा
सात दीप नव खण्ड नाही माया साधी सारा
संतो सब निर्भया निरधारा।
धरा, गिगन नहीं पवन नहीं पाणी 
नहीं सूर संसारा रे संतो, सब निर्भया निरधारा।
वाणी खाणी मुझ में नाही, नाही गरु अवतारा

लख चोरासी छोटा टेसण मोटा मिनक जमारा

लख चोरासी रा छोटा टेसण, मोटा मिनक जमारा है
उण टेसण विसराम मिळेला, जटे सरणा स्याम तुम्हारा है।
अरे जड़खान की टेसण उपर, दुख दोरम की धारा जी
चार मास चौमासो बरसे, आठ मास सियाळो जी।
उदबुदखान की टेसण उपर, ज्यारा ऐड़ा जमारा है

धीन घड़ी धीन भाग गुरुसा घर आविया

धिन घड़ी धिन भाग हमारो, सतगरुसा आविया रे धिन घड़ी धिन भाग
उची पाळ समन्द री केईये, नीचो जमुना तीर
उची चढ जोवियो रे2, चऊ दिस दिसे कबीर
सतगरुसा आविया रे धिन घड़ी धिन भाग
गुरु अवध री ऐसी लागी जेसे चन्दर चकोर
चरण कवल पर सूरत लागी जीऊं पतंग संग डोर

हंस हिरा रो मोल करे

अरे गुरु म्हारा पवन वस झीणा, ऐ जी सायर वाळी लेहर करे
हंसला री गरु गम हसलो ई जांणे, ऐ हंस हिरा रा मोल करे जी हाँ....…
ए गुरु म्हारा पारस पत्थर ने ओ पूजे, पारस संग ले पत्थर तीरे
पत्थर तीरे ओ बाने परेम जळ पावे, पारस पेले पार करे जी हाँ...…

हंसा सुन्दर काया रो मत कर गुमान

हंसा सुन्दर काया रो मत करजे अभिमान
अरे आखिर एक दिन जाणो रे मालिक रे दरबार।
अरे गरभवास में दुख पायो जद हरि सु करी पुकार
अरे पल भर नी बिसराऊं कोल करी कीरतार।
अरे कुटुम्ब कबीलो देख ने गरभ कियो मनमाई
अरे हंस अकेलो जासी रे नी कोई संग माई

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